विवरण
कात्यायनी बैसिलस
कात्यायनी बैसिलस एक लाभकारी सूक्ष्मजीव है, जो पौधों के रोगों को रोकने और उनकी बढ़वार में मदद करता है। यह गीले पाउडर और तरल रूप में उपलब्ध है।
जीवाणु संख्या: 5 x 10⁸ प्रति ग्राम
कैसे काम करता है?
कात्यायनी बैसिलस हानिकारक रोगाणुओं (जैसे जीवाणु और फफूंद) के पोषण और उनके बढ़ने के स्थानों पर कब्जा करके उनका विकास रोकता है। यह सीधे फफूंद से जुड़कर और पौधों के बीज या पत्तों पर सुरक्षात्मक परत बनाकर उनकी रक्षा करता है।
किन रोगों के लिए फायदेमंद है?
फाइटोफ्थोरा
अल्टरनेरिया
कोर्टिसियम
फ्यूजेरियम
राइज़ोक्टोनिया
कैसे और कितना उपयोग करें?
1. बीज उपचार (बीज तैयार करना)
स्टार्च या गुड़ का घोल बनाएं और बीज को उसमें डुबोकर गीला करें।
एक बर्तन में 25 ग्राम कात्यायनी बैसिलस प्रति 1 किलो बीज लें।
गीले बीजों को बर्तन में डालें और धीरे-धीरे मिलाएं ताकि सभी बीजों पर पाउडर चिपक जाए।
बीजों को छाया में 30 मिनट तक सुखाएं और 1 दिन के अंदर बुवाई करें।
पौधों की रोपाई के लिए, पौधों को 5-10% गाढ़े घोल में 5-10 मिनट तक डुबोकर लगाएं।
2. मिट्टी में उपयोग (मिट्टी तैयार करना)
20 किलो कात्यायनी बैसिलस को जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद या कात्यायनी जैविक खाद) के साथ मिलाकर 1 हेक्टेयर खेत में डालें। इसे गीली मिट्टी में डालना सबसे अच्छा होता है।
3. पत्तियों पर छिड़काव (छिड़काव)
1 किलो कात्यायनी बैसिलस को 50 लीटर पानी में मिलाएं। इस घोल को शाम के समय पौधों की पत्तियों पर छिड़कें।
पता चुनें: Bhopal, MADHYA PRADESH, 462016
E-7 MIG 539 Arera Colony, Bopal, Madhya Pradesh 462016
मूल पता: E-7 MIG 539 Arera Colony, Bopal, Madhya Pradesh 462016