विवरण
भारत सर्टिस टोकी एक शक्तिशाली प्राकृतिक तत्वों पर आधारित जैव स्टिमुलेंट है, जो फसल की सेहत और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसमें ह्यूमिक एसिड, अमीनो एसिड, मायो-इनोसिटॉल, विटामिन C और विटामिन E शामिल हैं, जो जड़ों के विकास, पोषक तत्वों के अवशोषण और पौधे की ताकत को बढ़ाते हैं। यह अनाज, दालें, सब्जियां, फल, गन्ना और अन्य फसलों के लिए उपयुक्त है। टोकी बेहतर फसल विकास, तनाव से लड़ने की क्षमता और अधिक उत्पादन सुनिश्चित करता है, जिससे टिकाऊ खेती संभव होती है।
उत्पाद सामग्री:
घटक (न्यूनतम मात्रा पीपीएम):
कार्य का तरीका:
टोकी मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि बढ़ाता है, जड़ों की बनावट सुधारता है और पौधे के पोषक तत्व लेने की क्षमता बढ़ाता है। इसके जैविक घटक कोशिकाओं के कामकाज और हार्मोन जैसे प्रभावों का समर्थन करते हैं, जिससे पौधा बेहतर बढ़ता है और पर्यावरणीय तनाव से लड़ता है।
विशेषताएं और लाभ:
जड़ और तना दोनों के विकास को बढ़ावा देता है
पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता सुधारता है
पर्यावरणीय तनाव के विरुद्ध पौधे की सहनशक्ति बढ़ाता है
फूल आने और फल बनने में मदद करता है
मिट्टी की सेहत और सूक्ष्म जीवों की सक्रियता को बढ़ावा देता है
उच्च उपज और बेहतर फसल गुणवत्ता देता है
फसल और उपयोग की मात्रा:
अनाज, गेहूं, मक्का, दालें, तिलहन आदि: 4 किग्रा प्रति एकड़, फसल के 0-30 दिनों में
सब्जियां: 8 किग्रा प्रति एकड़, फसल के 0-30 दिनों में
फलदार फसलें: 50-150 ग्राम प्रति पेड़*, खाद के साथ डालें
आलू, गन्ना: 8 किग्रा प्रति एकड़, 0-30 दिनों में, फिर 30 दिन बाद दोहराएं
*उपयोग की मात्रा पेड़ की उम्र पर निर्भर करता है।
पता चुनें: Abohar, PUNJAB, 152116
Unit 301, 3rd Floor, Worldmark 3, Asset No.7, Hospitality, District, Aerocity, NH-8, New Delhi 110037
मूल पता: Unit 301, 3rd Floor, Worldmark 3, Asset No.7, Hospitality, District, Aerocity, NH-8, New Delhi 110037
विवरण
भारत सर्टिस टोकी एक शक्तिशाली प्राकृतिक तत्वों पर आधारित जैव स्टिमुलेंट है, जो फसल की सेहत और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसमें ह्यूमिक एसिड, अमीनो एसिड, मायो-इनोसिटॉल, विटामिन C और विटामिन E शामिल हैं, जो जड़ों के विकास, पोषक तत्वों के अवशोषण और पौधे की ताकत को बढ़ाते हैं। यह अनाज, दालें, सब्जियां, फल, गन्ना और अन्य फसलों के लिए उपयुक्त है। टोकी बेहतर फसल विकास, तनाव से लड़ने की क्षमता और अधिक उत्पादन सुनिश्चित करता है, जिससे टिकाऊ खेती संभव होती है।